मुनस्यारी : पर्वतीय क्षेत्रों में लगातार हो रही वर्षा मानसून काल का आभास करा रही है। पिछले दो दिनों से पिथौरागढ़ जिले के निचले इलाकों में वर्षा तो ऊपरी इलाकों में हिमपात हो रहा है।
बुकिंग कैंसिल करा रहे हैं पर्यटक
मौसम की इस बेरुखी का असर जिले के पर्यटन कारोबार पर पड़ रहा है। देश के विभिन्न राज्यों से घूमने के लिए पहाड़ आने वाले पर्यटक अपनी बुकिंग कैंसिल करा रहे हैं। मुनस्यारी पहुंचे कई पर्यटक लगातार हो रही वर्षा से बढ़ी ठंड के चलते लौट गए हैं। उच्च हिमालय में अप्रैल से टूरिस्ट पहुंचने लगते हैं।
बंगाल, महाराष्ट्र, राजस्थान, मध्य प्रदेश के साथ ही उत्तर प्रदेश के कई जिलों से आने वाले पर्यटक जून अंत तक हिमालय को गुलजार करते हैं। जुलाई, अगस्त और सितंबर में मानसून काल के चलते टूरिस्ट सीजन थोड़ा कम रहता है। सितंबर अंत से दिसंबर मध्य तक फिर टूरिस्ट यहां पहुंचने लगते हैं।
मुनस्यारी आने वाले कई पर्यटकों ने अप्रैल अंत के लिए कराई अपनी एडवांस बुकिंग रद करा दी है। टूरिस्ट ठंड नहीं, बल्कि बेमौसम बारिश से बंद होने वाली सड़कों की आशंका पर यह निर्णय ले रहे हैं। होटल एसोसिएशन के देवेंद्र सिंह ने कहा कि मौसम का रुख ऐसा ही रहा तो पर्यटन कारोबार को बड़ा नुकसान संभव है।
उन्होंने बताया कि ग्रीष्मकालीन पर्यटन के लिए कारोबारियों ने खासी व्यवस्थाएं की हुई हैं। ठंड के चलते पर्यटक वापस लौट रहे हैं, कई पर्यटकों ने बुकिंग कैंसिल करा दी है। मौसम विभाग का कहना है कि चार मई के बाद मौसम सामान्य हो जाने की उम्मीद है।
बागेश्वर में झमाझम वर्षा और खाती में हिमपात
बागेश्वर जिले में वर्षा का सिलसिला जारी है। डंगोली क्षेत्र में सबसे अधिक 12 एमएम वर्षा रिकार्ड की गई है। जबकि सबसे कम लीती में एक एमएम हुई है। हिमालयी गांवों की चोटियों तक हिमपात पहुंच गया है। ठंड तेज हो गई है और किसानों के लिए वर्षा आफत लेकर आई है। शादी-विवाह आदि आयोजनों पर भी परेशानी बढ़ गई है।
शहर, कस्बाई क्षेत्रों पर बाजारों में भीड़-भाड़ कम रही।जिले में रविवार की रात से अनवरत वर्षा हो रही है। कपकोट के पिंडारी, द्ववाली, खाती, जांतोली, समडर आदि स्थानों पर हिमपात हो रहा है। पहले ओलावृष्टि और फिर हिमपात के कारण ठंड बढ़ गई है। लोगों ने गरम कपड़े निकाल लिए हैं।
अलाव आदि जलाकर वह ठंड से मुकाबला कर रहे हैं। खाती निवासी यामू सिंह ने बताया कि रुक-रुककर हिमपात हो रहा है। जिससे गांव में रहने वाले लोगों की परेशानी बढ़ गई है। बिजली, पानी, संचार सेवाएं भी प्रभावित हो रही हैं। मवेशियों के लिए चारा आदि भी भीग गया है।
इधर, तेज वर्षा के साथ ओलावृष्टि से किसानों की खड़ी फसल, गेहूं, जौ, मसूर, आलू, प्याज आदि बर्बाद हो गया है। किसानों पर प्रकृति की मार पड़ रही है। प्रगतिशील किसान मोहन सिंह ने बताया कि फसल को जंगली जानवरों से बचाई। जाड़ों में वर्षा नहीं होने से अधिकतर फसल सूख गई। अब समेटते समय प्रकृति की मार पड़ रही है। उन्होंने किसानों को मुआवजा देने की मांग की है।
पांच मई तक वर्षा, हिमपात की संभावना
मौसम विभाग के अनुसार पांच मई तक वर्षा, हिमपात की संभावना बनी है। 3200 से अधिक ऊंचाई वाले हिमालयी भूभाग पर हिमपात हो सकता है। अब तक किसी भी प्रकार के नुकसान की पुष्टि नहीं है।- शिखा सुयाल, जिला आपदा अधिकारी, बागेश्वर