देहरादून। ओएनजीसी चौक पर 11 नवंबर की देर रात हुई भीषण दुर्घटना में छह युवाओं की मौत के चार दिन बाद कैंट पुलिस ने कंटेनर चालक के खिलाफ लापरवाही से वाहन चलाने के आरोप में मुकदमा दर्ज किया है। यह मुकदमा इस दुर्घटना में जीवित बचे एकमात्र घायल सिद्धेश अग्रवाल के पिता की तहरीर के आधार पर हुआ है।

बता दें कि, ओएनजीसी चौक पर इनोवा कार एक कंटेनर के पीछे टकराने के बाद पेड़ में जा घुसी थी, जिसमें कार सवार सिद्धेश के छह दोस्तों की मौत हो गई थी। इनमें तीन युवतियां भी शामिल हैं। सिद्धेश का सिनर्जी अस्पताल में उपचार चल रहा। घटना के बाद कंटेनर चालक वाहन को स्टार्ट हालत में छोड़कर फरार हो गया था।

राजपुर रोड निवासी सिद्धेश के पिता विपिन कुमार अग्रवाल ने पुलिस को दी तहरीर में बताया कि 11 नवंबर की रात को उनका बेटा अपने दोस्तों के साथ बल्लूपुर चौक से इनोवा कार से कौलागढ़ चौक की ओर जा रहा था। आरोप है कि इसी दौरान एक कंटेनर उनके सामने आ गया, जो जर्जर हालत में था। कंटेनर से टकराने के बाद कार दुर्घटनाग्रस्त हो गई।
फरार चालक की तलाश जारी

कैंट कोतवाली के प्रभारी निरीक्षक केसी भट्ट ने बताया कि तहरीर के आधार पर कंटेनर के अज्ञात चालक पर लापरवाही से वाहन चलाने का मुकदमा दर्ज किया गया है। घटना के बाद से ही चालक फरार चल रहा है, जिसकी तलाश की जा रही है।

खतौली निवासी एक व्यक्ति ने खरीद लिया था कंटेनर

प्रारंभिक जांच में पुलिस को पता चला है कि जिस कंटेनर (एचआर-55-जे-4348) के कारण दुर्घटना हुई थी, वह परिवहन विभाग के रिकार्ड में बीआरसी लाजिस्टिक प्राइवेट लिमिटेड गुरुग्राम हरियाणा के नाम पर दर्ज है। कंटेनर 12 अगस्त-2009 को गुरुग्राम आरटीओ में पंजीकृत हुआ था, जिसकी फिटनेस 16 अगस्त-2013 को समाप्त हो गई थी।

कंटेनर का टैक्स 31 मार्च-2015 और बीमा भी 10 साल पहले समाप्त हो चुका है। यह जानकारी भी मिली है कि कंपनी ने यह कंटेनर खतौली निवासी एक व्यक्ति को बेच दिया था, लेकिन रिकार्ड में वाहन स्वामी का नाम परिवर्तित नहीं कराया। जानकारी यह भी मिली है कि कंटेनर पर शामली उत्तर प्रदेश निवासी एक व्यक्ति चालक है। पुलिस की एक टीम शामली व खतौली जांच के लिए भेजी गई है।

पुलिसकर्मियों की जिम्मेदारी अब तक भी तय नहीं

ओएनजीसी चौक पर हुए भीषण हादसे में पुलिस ने कंटेनर चालक के विरुद्ध मुकदमा तो दर्ज कर लिया है, लेकिन रात्रि चेकिंग में हुई लापरवाही के मामले में अब तक किसी पुलिसकर्मी की जिम्मेदारी तय नहीं की है। दुर्घटना से पहले इनोवा पूरे शहर में घूमती रही और तमाम नाकों से गुजरी, लेकिन कहीं भी इस कार को नहीं रोका।

पुलिस दावा कर रही है कि पूरी रात सभी पिकेट पर पुलिस तैनात थी, लेकिन कार को किसी भी पिकेट पर न रोका जाना पुलिस की लापरवाही को उजागर कर रहा है। वहीं, दूसरी ओर अल्मोड़ा बस दुर्घटना की बात करें तो इस मामले में दो एआरटीओ से लेकर थाना-चौकी पुलिस तक गाज गिर चुकी है।

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