देहरादून: गुरुवार देर उत्तराखंड में हुई बारिश और बर्फबारी से एक ओर लोग कड़ाके की ठंड से जूझ रहे हैं। वहीं यहां की वादियों की सुंदरता में ताजा बर्फबारी ने चार चांद लगा दिए हैं। देवभूमि की वादियों में जहां तक नजर जा रही है, वहां तक बर्फ की सफेद चादर दिखाई दे रही है।

शुक्रवार को मसूरी में चार दुकान और लाल टिब्बा में मौसम का दूसरा हिमपात हुआ है। धनोल्टी, बुरांशखंडा, सुरकंडा और नागटिब्बा में बर्फबारी हुई है। सुरकंडा, धनोल्टी, चकराता में बर्फबारी हुई है।

बर्फ से ढकी पहाड़ की ऊंची चोटियों से तलहटी में बसे निचले इलाकों में शीत लहर चल रही है। बर्फीली हवाओं से लोग ठंड में ठिठुर रहे हैं। वहीं बर्फबारी की खबर लगते ही उत्‍तराखंड के प्रमुख हिल स्‍टेशनों पर सैलानियों का जमावड़ा लगने लगा है।

चारधाम में भी बर्फबारी हुई है। चमोली जिले में औली, जोशीमठ, बदरीनाथ, हेमकुंड, रुद्रप्रयाग, चोपता, में बर्फबारी हुई है। रुद्रप्रयाग में केदारनाथ धाम सहित आसपास की चोटियों में ताजा बर्फबारी होने से तापमान माइनस में पहुंच गया है।

गंगोत्री यमुनोत्री धाम सहित ऊंचाई वाले क्षेत्रों में जमकर बर्फबारी हुई है। जनपद के 50 से अधिक गांव बर्फ की चादर से ढक गए हैं। अधिकांश गांवों का संपर्क भी कट गया है।

गंगोत्री हाईवे गंगनानी से आगे गंगोत्री तक बर्फबारी के कारण बाधित है। हाईवे राडी टॉप और राना चट्टी से लेकर जानकीचट्टी तक अवरुद्ध है। उत्तरकाशी श्रीनगर केदारनाथ को जोड़ने वाला मोटर मार्ग भी चौरंगी के पास बर्फबारी के कारण बंद हो गया है।

वहीं बीती रात को जौनसार बावर के ऊंचाई वाले ग्रामीण इलाकों में बर्फबारी होने से यातायात संचालन ठप हो गया। लोखंडी समेत आसपास क्षेत्र में मौसम का दूसरा हिमपात होने से मसूरी-चकराता-त्यूणी राष्ट्रीय राजमार्ग बंद हो गया।

हाईवे पर चकराता से आगे धारनाधार-जाड़ी, लोखंडी-कोटी कनासर के बीच 15 किलोमीटर हिस्से में सड़क पर बर्फ की मोटी परत जम गई है। बर्फबारी के चलते हाईवे बंद होने से सीमांत क्षेत्र के करीब 100 गांवों का सड़क संपर्क तहसील, ब्लाक व जिला मुख्यालय से कट गया है। केदारनाथ धाम में जहां करीब चार फीट तक बर्फ जम गई है, जिससे धाम का मौसम काफी ठंडा हो गया है। केदारनाथ में पुनर्निर्माण कार्य भी पूरी तरह ठप पड़ गए हैं। वहीं, जनपद के तुंगनाथ, मदमहेश्वर, कालीशिला, पंवालीकांठा, चन्द्रशिला समेत कई ऊंची चोटियों पर भी बर्फ जम चुकी है। ठंड से बचने के लिए नगर निकाय रुद्रप्रयाग के साथ तिलवाडा, अगस्त्यमुनि व ऊखीमठ समेत कई स्थानों पर अलाव भी जलाए हैं।

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