नक्शे पास करने के खेल में आवास विभाग घिरता नजर आ रहा है। 2021 में जो वन टाइम सेटलमेंट स्कीम (ओटीएस) शुरू की गई थी, उसके तहत विभाग ने नक्शे पास करने के सख्त नियम रखे जबकि इससे पूर्व 3.5 मीटर चौड़े रास्ते पर भी अस्पताल, नर्सिंग होम के नक्शे पास कर दिए गए। अब हाईकोर्ट के सामने आवास विभाग को जवाब देना है।

दरअसल, दून निवासी अभिनव थापर ने ओटीएस पर सवाल खड़े किए थे। उनका कहना था कि इस योजना के तहत उन भवनों के नक्शे तो पास होंगे, जिनके सामने की सड़क कम से कम नौ मीटर चौड़ी होगी। अगर इससे कम चौड़ी सड़कों वाले हैं तो नक्शा मान्य नहीं होगा। जबकि राजधानी में ही कई नर्सिंग होम, अस्पताल ऐसे हैं, जिनके रास्ते 3.50 मीटर चौड़े होने के बावजूद एमडीडीए ने उनका नक्शा पास कर दिया।

अंतिम सुनवाई 14 जून को होगी
इस प्रकरण में हाईकोर्ट ने आवास विभाग को निर्णय लेते हुए कोर्ट को अवगत कराने को कहा था। करीब दो साल बीत चुके हैं लेकिन विभाग अपना कोई जवाब तैयार करने को सामने नहीं आया है। शुक्रवार को सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने सख्त निर्देश दिए हैं कि 14 जून तक सभी पक्ष अपने जवाब दें। अंतिम सुनवाई 14 जून को होगी।

मैदान में मेहरबानी, पहाड़ में नियम

दून निवासी अभिनव थापर का कहना है कि आवास विभाग और प्राधिकरणों ने मैदानी क्षेत्रों में तो जरूरत के हिसाब से अस्पताल, नर्सिंग होम के नक्शे पास करने को नियमों में बदलाव कर दिया है लेकिन अगर कोई पर्वतीय क्षेत्रों में नर्सिंग होम, अस्पताल खोलना चाहता है तो उसके लिए नियम आज भी वैसे ही सख्त हैं। उन्होंने कहा कि इससे पहाड़ में स्वास्थ्य सेवाएं भी बाधित हो रही हैं।

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