रामनगर की लीची को जीआई टैग मिलने से बागबान गदगद हैं। जीआई टैग मिलने के बाद लीची की मांग बढ़ने के साथ बागबानों की आय भी बढ़ने की उम्मीद है। अब जीआई टैग के अतिरिक्त कोई भी रामनगर की लीची कहकर नहीं बेच जाएगा। लीची बेचने के लिए किसान एवं व्यापारी को यूजर सर्टिफिकेट लेना होगा। इसके बाद वह जीआई टैग लगाकर लीची को बेच सकते हैं।

रामनगर लीची उत्पादक संगठन के सचिव दीप बेलवाल और अध्यक्ष शशांशु चतुर्वेदी ने देहरादून में मुख्यमंत्री से जीआई टैग से संबंधित प्रमाणपत्र प्राप्त किया। उद्यान विभाग के प्रभारी अर्जुन सिंह परवाल ने बताया कि रामनगर और कालाढूंगी क्षेत्र में लगभग 900 हेक्टेयर में लीची की पैदावार होती है।

रामनगर, कालाढूंगी क्षेत्र की आम व लीची की मिठास विदेशों तक पहुंचती है। रामनगर की रसीली और खुशबू वाली लीची चंडीगढ़, पंजाब, उत्तर प्रदेश, मेरठ, संभल, हरियाणा, राजस्थान, मुंबई और दिल्ली भेजी जा रही है। स्थानीय मंडी में भी लीची की अच्छी खपत होती है। जीआई टैग लगी लीची रामनगर की पहचान होगी। अब कोई रामनगर की लीची बताकर धोखाधड़ी नहीं कर सकता है। इससे लीची से जुड़े बागबानों को काफी फायदा होगा।

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