जोशीमठ में भूधंसाव के चलते करीब 1200 घर हाई रिस्क में आ गए हैं। पहाड़ पर 14 पॉकेट ऐसी हैं, जहां पर ये सभी घर बने हैं और रहने के लिहाज से सुरक्षित नहीं है। हाई रिस्क जोन में आ रहे भवनों के लिए नक्शा तैयार किया गया है। सीबीआरआई ने सर्वे के बाद शासन को सौंपी रिपोर्ट में पुनर्वास की सिफारिश की है।
जोशीमठ में पिछले साल हुए भूधंसाव के बाद विभिन्न तकनीकी संस्थानों की ओर से अलग-अलग स्तर पर तकनीकी जांच की थी। सीबीआरआई रुड़की के वैज्ञानिकों की ओर से पहाड़ पर बने मकानों की दरारों और जमीन में आई दरारों के आधार पर खतरे का आकलन किया था।
भवनों को तीन वर्गों में बांटा गया
वैज्ञानिक डॉ. अजय चौरसिया ने बताया कि सर्वे के दौरान सभी भवनों में आई दरारों का अलग-अलग पैरामीटर के हिसाब से आकलन किया गया। साथ ही जमीन के भीतर आई दरारों के लिए भूवैज्ञानिक रिपोर्ट का भी आकलन किया गया। जिसके आधार पर भवनों को तीन वर्गों में बांटा गया। सर्वे के दौरान 14 हाई रिस्क जोन चिह्नित किए गए हैं।
ये जोन पहाड़ पर पॉकेट के रूप में हैं, जहां बने भवन रहने के लिहाज से सुरक्षित नहीं है। हाई रिस्क जोन मारवाड़ी बाजार, लोवर बाजार, अपर बाजार, मनोहर बाग और सिंघधार में स्थित है। हाल ही में जोशीमठ का फिजिकल सर्वे भी किया गया है। उन्होंने बताया कि करीब 2500 भवनों में से 1200 भवनों को हाई रिस्क के अंतर्गत रखा गया है। इन भवनों में रह रहे लोगों के पुनर्वास की सिफारिश की गई है।
सरकार कोई भी निर्णय लेने से पहले स्थानीय निवासियों का मत जानेंगी। उनकी सहमति से ही आगे की कार्ययोजना तय होगी।- डॉ. रंजीत सिन्हा, सचिव, आपदा प्रबंधन