देहरादून : उपभोक्ता के खाते से अनाधिकृत रूप से निकाली गई रकम बैंक को ब्याज सहित लौटानी होगी। जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग ने एक मामले में 30 दिन में रकम वापसी का आदेश दिया है। बैंक को इस रकम के अलावा 30 हजार रुपये मानसिक क्षतिपूर्ति व दस हजार रुपये वाद व्यय भी उपभोक्ता को देना होगा।

बैंक के खिलाफ आयोग में दायर किया वाद
पंडितवाड़ी निवासी डा. एमएस बिष्ट ने भारतीय स्टेट बैंक के खिलाफ आयोग में वाद दायर किया। डा. बिष्ट के अनुसार, उनका बैंक में बचत खाता है। जिसमें मोबाइल नंबर एसएमएस अलर्ट के लिए पंजीकृत है।

किसी अज्ञात व्यक्ति ने उनके खाते से 5,80,350.40 रुपये निकाल लिए। जिसकी उन्हें कोई सूचना एसएमएस से नहीं मिली। वह बैंक में पासबुक में प्रविष्टि कराने गए, तब इसकी जानकारी मिली।
कहा कि एसएमएस अलर्ट बंद होना बैंक की लापरवाही है और यह संदेह उत्पन्न करती है कि यह रकम बैंक के ही किसी कर्मचारी की मिलीभगत से एटीएम कार्ड का क्लोन बनाकर निकाली गई।

पुलिस में भी दर्ज कराई रिपोर्ट
उन्होंने बताया कि इस मामले की रिपोर्ट पंडितवाड़ी चौकी में भी दर्ज कराई गई। बैंक को विधिक नोटिस भेज एक माह के अंदर धनराशि का भुगतान करने को कहा गया, पर बैंक ने इससे इन्कार कर दिया। बैंक ने आयोग में इस बात का खंडन किया कि उपभोक्ता के एसएमएस अलर्ट बंद किए गए और उक्त राशि आहरित करने की सूचना उन्हें बैंक आने पर मिली।

यह भी कहा कि एटीएम कार्ड के माध्यम से केवल एटीएम कार्डधारक या उसका अधिकृत प्रतिनिधि ही रकम निकाल सकता है। क्योंकि गोपनीय पिन केवल कार्डधारक को ही ज्ञात होता है।

नुकसान की भरपाई के लिए बैंक जिम्मेदार
आयोग के अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह दुग्ताल और सदस्य विमल प्रकाश नैथानी व अलका नेगी ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद यह माना कि बैंक की लापरवाही के कारण किसी असामाजिक तत्व ने उपभोक्ता के खाते से रकम निकाल ली। उसे हुए नुकसान की भरपाई के लिए बैंक जिम्मेदार है।

बैंक को लौटानी होगी धनराशि
उपभोक्ता पर खाता संचालित करने का अनावश्यक चार्ज लगाना बैंक को भारी पड़ा। जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग ने एक मामले में बैंक को रकम वापसी के साथ ही क्षतिपूर्ति का भी आदेश दिया है। मोहित नगर निवासी आशा रानी ने स्टेट बैंक आफ इंडिया के खिलाफ आयोग में वाद दायर किया।

खाता खोलते वक्त नहीं दी जानकारी
कहा कि उनका जीएमएस रोड पर छोटा सा कारोबार है। बैंक में उन्होंने चालू खाता खुलवाया। इस खाते में बैंक भिन्न-भिन्न प्रकार के खर्चे लगाने लगा। जबकि खाता खोलते वक्त इसकी कोई जानकारी उन्हें नहीं दी गई। खाता बंद करने के लिए कहने पर उन्हें 14 हजार रुपये जमा करने को कहा गया। खाता बंद कराने के प्रक्रिया पूरी करने के कई दिन बाद भी उन्हें इस बाबत कोई सूचना नहीं मिली।

जानकारी लेने पर पता चला कि खाता चालू है। इसका स्टेटमेंट निकाला तो 2100 रुपये डेबिट बैलेंस दिखाया। इसके अलावा कुछ अन्य भी गड़बड़ी थी। उन्होंने दोबारा खाता बंद करने का अनुरोध किया पर कोई कार्रवाई नहीं की गई।

27,718.96 रुपये जमा कराने को कहा
बाद में उन्हें इस एवज में 27,718.96 रुपये जमा कराने को कहा गया, जो उन्होंने जमा कराए। आयोग के अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह दुग्ताल और सदस्य विमल प्रकाश नैथानी व सदस्य अलका नेगी ने तमाम पक्ष सुनने के बाद पाया कि उपभोक्ता 24,429 रुपये वापस पाने की अधिकारी है। बैंक दस हजार रुपये मानसिक क्षतिपूर्ति व पांच हजार रुपये वाद व्यय भी उन्हें देगा।

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