नैनीताल : उत्तराखंड हाई कोर्ट व उत्तराखंड न्यायिक एवं विधिक अकादमी (उजाला) के संयुक्त तत्वावधान में मानव तस्करी, लैंगिक न्याय, मानव तस्करी पर अंकुश से संबंधित कानून की पहुंच अधिकतम बनाने के लिए अदालतों व विधिक प्राधिकरणों की भूमिका पर शनिवार से दो दिनी न्यायिक सेमिनार का आयोजन न्यायिक एवं विधिक अकादमी भवाली में किया जा रहा है। सेमिनार में लैंगिक संतुलन और संवेदनशीलता विकसित करने को रोडमैप तैयार होगा।

इन समस्याओं से अदालतों पर बढ़ रहा बोझ
मानव तस्करी के साथ ही लैंगिक असमानता देश में बड़ी समस्या बनकर उभरे हैं। मानव तस्करी व लैंगिक असमानता पर अंकुश के लिए देश में तमाम कानून बने हैं, लेकिन समाज के कमजोर तबकों तक इन कानूनों को लेकर जागरूकता में कमी है। यौन तस्करी से संबंधित मामले देश में लगातार बढ़ रहे हैं। इस वजह से अदालतों पर भी मुकदमों का बोझ बढ़ रहा है तो पुलिस व जांच एजेंसियों पर दबाव बढ़ रहा है।

  • ट्रांसजेंडरों की कानूनी स्थिति को लेकर भी अक्सर सवाल उठाते रहे हैं।
  • यौन उत्पीड़न व मानव तस्करी के मामलों पर अदालतों के सख्त निर्देशों के बाद भी जांच एजेंसियों की जांच के तौर तरीके में सुधार की मांग उठती रही है।
  • देश की अदालतों व जांच एजेंसियों के सामने इन संवेदनशील मुद्दों की चुनौती से निपटने के लिए उजाला भवाली में शनिवार-रविवार को 2 दिनी मंथन किया जाएगा।

ये न्यायाधीश होंगे शामिल
उजाला के निदेशक नितिन शर्मा व अपर निदेशक एमएम पांडे के मुताबिक सेमिनार में सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति एस रवींद्र भट्ट, न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया, नैनीताल हाई कोर्ट के मुख्य न्यायमूर्ति विपिन सांघी, न्यायमूर्ति एसके मिश्रा, न्यायमूर्ति मनोज तिवारी, न्यायमूर्ति आलोक वर्मा, न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे, रजिस्ट्रार जनरल विवेक भारती शर्मा, पूर्व जस्टिस यूसी ध्यानी, डीजीपी अशोक कुमार, हरिद्वार, नैनीताल, ऊधमिसंह नगर, देहरादून व अल्मोड़ा के डीएम व पुलिस कप्तान, जिला जज व न्यायिक अधिकारी मौजूद रहेंगे। सेमिनार के पांच सत्र होंगे। शुभारंभ शनिवार सुबह 10:35 बजे होगा।

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