हल्द्वानी : प्रदेश में पिछले छह महीने में बेरोजगारी के मोर्चे पर 36 प्रतिशत गिरावट आई है। अर्थव्यवस्था पर नजर रखने वाली संस्था सेंटर फार मानीटरिंग इंडियन इकोनामी (सीएमआइ) के आंकड़ों के मुताबिक, ग्रामीण एवं शहरी इलाकों में श्रम भागीदारी बढऩे से अक्टूबर के महीने में बेरोजगारी दर घटकर 3.4 प्रतिशत रिकार्ड की गई है।
एक नवंबर, 2022 को जारी आंकड़ों पर नजर डालें तो अप्रैल में प्रदेश की बेरोजगारी दर 5.3 प्रतिशत थी। जिसके बाद मई में घटकर 2.9 प्रतिशत पर आ गई, जो एक ही महीने में 45 प्रतिशत गिरावट है। इसके बाद जून, इस वर्ष का सबसे अधिक बेरोजगारी वाला महीना रहा। शोध संस्था के मुताबिक इसके पीछे बारिश के असंतुलन के कारण कृषि क्षेत्र को भारी नुकसान बड़ा कारण रहा।
हालांकि जुलाई और अगस्त के महीना में दावा किया गया है कि प्रदेश की बेरोजगारी शून्य थी। जो राज्य गठन के 22 वर्षों में भी एक रिकार्ड है। सितंबर के महीने में फिर से तेजी देखने को मिली और आंकड़ा 0.5 प्रतिशत पहुंच गया। इसके बाद अक्टूबर में और तेजी आई और यह आंकड़ा 3.4 प्रतिशत पहुंच गया।
कोरोना काल की तुलना में स्थिति सुधरी
कोरोना काल के लिहाज से बात करें तो अप्रैल 2020 में प्रदेश की बेरोजगारी दर 6.5 थी, जो अप्रैल 2021 में घटकर छह प्रतिशत दर्ज हुई। इस वर्ष के अप्रैल में यह स्थिति और सुधरकर 5.3 प्रतिशत पहुंच गई है। विशेषज्ञों के मुताबिक प्रदेश में लोगों को रोजगार के लिए महानगरों की दौड़ लगानी पड़ती है। बेरोजगारी के पीछे कोरोना महामारी के बीच कामकाज ठप होना बड़ा कारण रहा। तब लाकडाउन के दौरान करीब 53 हजार प्रवासी घर लौटे थे।
बेरोजगारी के आंकड़े
माह प्रतिशत
अप्रैल 5.3
मई 2.9
जून 8.7
जुलाई –
अगस्त –
सितंबर 0.5
अक्टूबर 3.4
नोट : ये आंकड़े सीएमआइइ के आधार पर दिए गए हैं।