अल्मोड़ा : उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले में दिसंबर माह में बारिश नहीं होने से अल्मोड़ा जिला सूखे की चपेट में आ गया है। रबी की फसल बारिश नहीं होने से खासी प्रभावित है। मुख्य कृषि अधिकारी ने सूखे के आकलन के लिए विभागीय अधिकारियों को निर्देशित कर दिया है।
एक ओर कोरोना महामारी से पहले ही हालात खराब थे, अब इस वर्ष सूखे ने काश्तकारों की कमर तोड़कर रख दी है। जिले में 80 फीसद खेती बारिश पर निर्भर है। लेकिन बीते दो माह से बारिश नहीं होने के कारण रबी की फसल को भारी नुकसान हुआ है।
काश्तकारों के अनुसार, उनकी 40 से 60 फीसद तक फसल सूखे की भेंट चढ़ गई है। इस सीजन में यहां गेहूं, मसूर, सरसों, तुरई, मटर आदि की फसल बहुतायत में होती है। विभागीय अधिकारी बारिश नहीं होने और सूखे के हालात का आकलन करने में जुट गए हैं। जल्द ही वह रिपोर्ट सरकार को सौंपेंगे, जिसके बाद काश्तकारों को सूखे से प्रभावित हुई फसल का मुआवजा दिया जाएगा।
80 हजार हेक्टेयर भूमि में होती है खेती
रबी के सीजन में जिले में गेहूं की फसल 44 हजार हेक्टेयर, मसूर 2500 हेक्टेयर, सरसों 1500 हेक्टेयर, तुरई 1200 हेक्टेयर, मटर 500 हेक्टेयर में बोई गई है। वर्तमान में किसान 80 हजार हेक्टेयर भूमि पर खेती का कार्य कर रहे हैं। सूखे के उपजे हालातों ने काश्तकारों को खासा नुकसान पहुंचाया है।
10 अक्टूबर के बाद नहीं हुई बारिश
रबी के सीजन में बोई गई फसल को करीब 342 मिमी बारिश की जरूरत होती है। लेकिन बारिश नहीं होने से सूखे के हालात पैदा हो गए है। जिले में 10 अक्टूबर के बाद बारिश ही नहीं हुई हैं। खेतों में सरसों के फूल तक नहीं दिखाई दे रहे हैं।
एक लाख से अधिक काश्तकार प्रभावित
जिले में एक लाख 10 हजार किसान खेती कर आजीविका चला रहे हैं। बारिश नहीं होने से काश्तकारों की कमर टूट गई है। अब वह सरकार की ओर टकटकी लगाकर देख रहे हैं।
रबी की फसल के लिए दिसंबर माह में बारिश की जरूरत होती है। इस बार बारिश नहीं हुई। सूखे से हो रहे नुकसान का आकलन किया जा रहा है। सभी विभागीय अधिकारियों को निर्देशित किया गया है।
- धनपत कुमार, मुख्य कृषि अधिकारी, अल्मोड़ा